सर्वांगासन का अर्थ | Sarvangasana in Hindi
Sarvangasana|सर्वांगासन से संपूर्ण शरीर का व्यायाम हो जाता है, इसी कारण इसे सर्वांगासन कहते हैंं। लाभ की दृष्टि से यह आसन शीर्षासन के बाद दूसरे स्थान पर आता है, अब आप समझ ही सकते है की यह आसन अपने आप में कितना महत्व रखता है । यह आसन कुछ-कुछ शीर्षासन को तरह ही लगाया जाता है । इस आसन में संपूर्ण शरीर ऊपर की ओर तना जाता है।
सर्वांगासन के लाभ | Sarvangasana benefits
जैसा कि आपने पढ़ा की सर्वंगासन के चमत्कार (लाभ) शीर्षासन जैसे ही होते हैं, क्योंकि इस आसन में भी सिर नीचे और पैर ऊपर आसमान की तरफ होते हैं तो यह आसन शुद्ध रक्त का प्रवाह ऊपरी अंगो में अधिक करता है जिसके लाभ निम्नलिखित हैं -
- यह आसन मस्तिष्क, ग्रीवा ( गर्दन) , फेफड़े और हृदय के लिए किसी वरदान से कम नहीं है ।
- दिन भर जब हृदय पांवों तक खून को पहुंचा कर पुनः खींचता है ,तो इस आसन के समय हृदय को मेहनत कम करनी पड़ती है, जिससे उसे कुछ क्षणों का आराम मिलता है ,जोकि हृदय के लिए अमृत है।
- अगर आपके बाल समय से पहले या युवावस्था में ही सफेद होना शुरू हो गए हैं तो ऐसे ही sarvang asan ने न जाने कितने ही लोगों के बालों को पुनः काला करा है।
- यह आसन आंखों की ज्योति को भी तेज करने में सक्षम है।
- जिनको बार बार पीलिया होता है, उनको भी यह आसन नियमित रूप से लगाना चाहिए क्योंकि यह आसन लीवर को भी स्वस्थ करता है।
- मस्तिष्क की अनेक पीड़ाओं को नष्ट करने में और मस्तिष्क का विकास व बुद्धि बढ़ने में तो सर्वांगासन अत्यधिक प्रसिद्ध हैै।
- इस आसन का गले पर विशेष दवाब पड़ता है जिससे ग्रीवा में स्थित अवटुका ग्रंथियों में शुद्ध रक्त का बहाव तेज होने पर इसकी कार्यक्षमता सुधरती है, शरीर का विकास भी इसी ग्रंथि पे निर्भर करता है।
- सर्वांगासन मेरुदंड को मजबूत और लचीला बनाता है। शरीर में स्फूर्ति और बल की वृद्धि होती है।
- यह आसन स्त्री वी पुरुष के गुप्त रोगों में भी विशेष लाभप्रद है ।
- वीर्य वर्धक इस आसन को सभी नवयुवकों को लगाना चाहिए, ताकि धर्म युद्ध के समय सनातन धर्म की रक्षा करने वालों की कमी न रहे।
- रक्त का दूषित होना और न जाने कितने ही रक्त विकारों को यह आसन 1-2 वर्षों तक प्रतिदिन अभ्यास से पूर्णतया ठीक कर देता है।
- अंततः यह आसन पेट के रोग, गले के रोग, और शरीर की सामान्य कमजोरी का सहज में ही नाश कर देता है।
Sarvang asan से विशुद्ध चक्र पर विशेष दवाब पड़ता है, इसका प्रतिदिन एक खास विधि से अभ्यास करके आप अपने विशिद्धि चक्र को भी सक्रिय कर सकते है, परंतु वह अलग ही विषय है उसके बारे में पढ़ना चाहें तो आप हमें @email कर सकते हैं, तो हम इस विषय भी एक अलग से post कर सकते हैं।
सर्वांगासन की विधि | सर्वांगासन कैसे किया जाता है ? | Sarvangasana steps
Step -1
सबसे पहले एक कंबल बिछाकर उसपर पीठ के बल एकदम सीधे लेट जाइए , पैर एकसाथ मिले रहने चाहिए। हाथों को भी बगल में रख कर हथली को कंबल पर रख लीजिए।
Step-2
- अब धीरे धीरे सांस भरते हुए दोनो टांगो को ऊपर उठाइए। अगर ऐसे कठिन लगे तो एक एक करके परों को उठाइए ।
- अब पैरों को एकदम सीधे आसमान की तरफ करलें की 90° का angle बनाएं।
- इसी स्तिथि में 4-5 सेकंड्स तक रुकिए और यहां आप एक बार सांस छोड़ कर फिर से गहरी सांस भर लें।
Step-3
सर्वांगासन |
- अब एकदम धीरे - धीरे पैरों को कमर के साथ पूरा ऊपर तक ले जाएं की सीना ठुड्ढी को छूने लगे , और कोहनियों को भूमि पर टिका कर हथेलियों को पीठ पर लगा लें जिससे शरीर को सहारा मिले।
- पूरा शरीर सीने से लेकर पैर के अंगूठे तक एक सीध में रहे बस सिर, गर्दन और कोहनियां ही भूमि पर हों। अपनी दृष्टि को नासाग्र ( नाक के आगे के हिस्से) पर या पैरों के अंगूठे पर एकाग्र कर लें।
- इसी स्तिथि के जितनी देर तक आप आसानी से सांस को रोके रख सकते हैं उतनी देर तक रहिये। शरीर के बल के अनुसार उतना ही करिये।
- अब धीरे धीरे सांस छोड़ते हुए वापिस कमर को भूमि पर ले आइए, और हाथों को सीधा करके हथेली को भूमि पर रख लें (जैसा कि step-2 में है) ,इस अवस्था में भी 3-4 सेकंड्स तक रुकिए।
- अब बिल्कुल धीरे धीरे पूरी सांस को छोड़ते हुए पैरों को भूमि पर ले आइए एकसाथ या एक - एक करके।
- पैरों को नीचे लाने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए ,इससे कमर में मोच या नस चढ़ने का भय रहता है जो की अत्यधिक खतरनाक है।
सर्वांगासन की विधि को भली प्रकार से समझने के लिए नीचे दी गई video अवश्य देखें। 👇
Sarvangasana लगाने की अवधि(duration)
यह आसन जबतक आप सरलता से सांस रोक सकते हैं उतनी देर तक ही लगाएं 5-6 सेकंड्स तक और अभ्यास बढ़ता जाएगा तो 10 सेकंड्स तक भी लगा सकते हैं।
( जिनसे शुरू में सांस नहीं रोकी जाती, वे लोग जब 3rd step की अवस्था में आएं तब सामान्य रूप से सांस लेते रहें । लेकिन सिर्फ शुरू-शुरू में, और फिर कुछ दिनों के बाद सांस अंदर रोक कर ही लगाएं)
जिसको 6 महीने से लेकर 1 साल तक का अभ्यास हो जाए ,वे लोग इसे 1 मिनट से लेकर 2 मिनट तक सामान्य रूप से सांस लेते हुए लगा कर रह सकते हैं।
सर्वांगासन की सावधानियां| Sarvangasana precautions
- अगर आप यह आसन पहली बार कर रहे हैं, तो कृपया आप किसी अन्य व्यक्ति की सहायता अवश्य लें, ताकि अगर आपका balance बिगड़े तो वे आपको संभाल लें वरना चोट लगने का भय रहता है।
- जैसा कि आपको ऊपर ही बताया गया है किसी की सहायता अवश्य लें और इस आसन का आप कभी भी जल्दबाजी में इसका अभ्यास न करें, इसमें अगर आप पीछे की तरफ लुढ़के तो गर्दन में मोच आने का खतरा है।
- हृदय के रोगी या हाई ब्लड प्रेशर के मरीज को यह आसन किसी अच्छे योगाचार्य से परामर्श के बाद ही लगाना चाहिए।
- जब सिर में दर्द हो उस समय भी यह आसन नहीं लगाना चाहिए
- जिसके सिर में खून चढ़ने की परेशानी है, उसे भी सर्वांगासन से बचना चाहिए।
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