संकटासन का अर्थ | Sankatasana Meaning
संकटासन|Sankatasana |
आप सोच अवश्य रहे होंगे इस आसन का नाम संकटासन क्यों रखा गया है.??? चलिए समझते है इसके नाम का अर्थ.!!
संकटासन "संकट + आसन" 2 शब्दो से मिलकर बना है ,यहां संकट का तात्पर्य "दर्द या पीड़ा" से है। क्योंकि यह आसन कमर के भयंकर दर्द(संकट) और अनेकों अनेक शारीरिक पीड़ाओं(संकटों) से आपकी रक्षा करता है इसलिए इस आसन का नाम संकटासन रखा गया है।
संकटासन के लाभ | Sankatasana Benefits
संकटासन के लाभ काफी हद तक गरुड़ासन के समान ही हैं। क्योंकि गरुड़ासन में एक पैर पर खड़ा हुआ जाता हैं और संकटासन में उसी तरीके से पैर पर खड़ा हुआ जाता है लेकिन इसमें पैर को घुटने से मोड़कर इस तरीके से खड़े होते हैं जैसे की कुर्सी पर बैठे हों। इसलिए इसके लाभों में गरुड़ासन के लाभों की समानता है। संकटासन के लाभ निम्न प्रकार के हैं -
कमर दर्द के लिए रामबाण - यह आसन लगाते समय कमर पर विशेष बल पड़ता है, जिससे कमर का अच्छा व्यायाम होता है। इस आसन से कमर का भयंकर दर्द भी ठीक किया जा सकता है।
मेरुदंड(spine) के लिए - यह आसन मेरुदंड के कूबड़ को ठीक करने के लिए काफी मशहूर है। इससे मेरुदंड में मजबूती आती है।
पूरे शरीर की - इसके प्रतिदिन अभ्यास से हाथों और पैरों की नस, नाड़ियां और तंतुजाल में शुद्ध रक्त का प्रवाह भरपूर मात्रा में होता है, जिससे इनके सभी विकार नष्ट होते हैं। सभी मांसपेशियां और हड्डियां मजबूत होती हैं।
आँत उतरना(Hernia) - अंडकोषों पर स्वास्थ्यकारी दवाब पढ़ने के कारण , इस आसन से हर्निया और हाइड्रोसिल(वृषण वृद्धि) जैसे कष्टदायक रोगों से मुक्ति मिलती है।
गठिया(Gout) - यह आसन आपके शरीर में वायु का संतुलन नियमित करता है, जिससे गठिया जैसे हठी रोगों में भी लाभ होता है।
घुटनों के लिए - इस आसन को करते समय हमारे पैरों को एक विशेष मुद्रा में रखा जाता है, जिससे घुटनों की सूक्ष्म नसों एवं नाड़ियों में रक्त का प्रवाह सुचारू रूप से होने लगता है, जिसके कारण घुटने केवल स्वस्थ ही नही, अत्यधिक मजबूत भी होते हैं। इससे जांघो को भी काफी बल मिलता है।
शरीर के बल को बढ़ाने वाला - संकटासन लगाते समय आपकी जंघाओं पर अत्यधिक बल पड़ता है, जिससे आपकी जांघ, पिंडलियों और पीठ की मांसपेशियों की कमजोरी पूर्णतया नष्ट हो जाती है जिससे वे बलिष्ठ बनती हैं और इस आसन के निरंतर अभ्यास से शरीर के बल में विशेष वृद्धि होती है।
संकटासन लगाने की विधि | Sankatasana Steps
संकटासन को हमें बारी-बारी दोनो पैरों पर एक खास मुद्रा में खड़े होकर लगाना होता है ,इस आसन को दोनो पैरों के लिए 2 चरणों में लगाएंगे। और दोनो पैरों से बराबर समय के लिए लगाना है।
चरण -1
- यह आसन लगने के लिए सबसे पहले हमे बिल्कुल सीधा खड़ा होना है तथा
- सिर, ग्रीवा अर्थात गर्दन तथा मेरुदंड एक सीध में रहने चाहिए।
- अब हमे सीधा खड़े रहते हुए अपने बाएं( left ) पैर को उठाकर दाएं( right) पैर पर सांप की तरह लपेट कर तथा अपने हाथो की हथेलियों को अच्छे से पूरी तरह मिला कर सामने की ओर अधिकाधिक तानिए।
- अब हमें अपने दाहिने घुटने को मोड़कर उस पर ही अपने पूर्ण शरीर का भार डालते हुए हमे जिस प्रकार कुर्सी पर बैठते है उस प्रकार की मुद्रा में बैठना है। अब हमको इसी मुद्रा में खुद को साधे रखना है।
- याद रखने योग्य बातें कुछ इस प्रकार है की जब हम इस आसन की मुद्रा में हो तब हमे अपने हाथो को सामने की ओर सीधा करते में खूब खिचांव रखना चाहिए।
- ध्यान रहे की हमारे घुटने को मोड कर 120° से 90° में ही रहे इस बात विशेष ध्यान रखना है। तथा सिर, ग्रीव ( गर्दन ) , मेरुदंड और कमर समरेखा में सीधे रखना परमआवश्यक है ।
- अब हमें वापस उस अवस्था में आना है जिसमे हम आसन लगाने से पहले थे अर्थात अब हमे सीधे खड़े हो जाना है तथा कुछ सेकेंड का विश्राम करना है।
चरण-2
- अब अपने बाएं(left) पैर को सीधा रखते हुए उसपर पूरे शरीर का संतुलन बनाते हुए अपने दाएं(राइट) पैर को अपने बाएं पैर पर सर्प की भांति लपेटना है( जिस प्रकार हमने पहले अपने चरण में किया था दायें पैर के साथ)।
- हाथो को एकदम सीधा करते हुए सामने की ओर हथेलियों को परस्पर मिलाइए नमस्कार की मुद्रा में और उन्हे सामने की ओर अधिकाधिक तानिए, उसी प्रकार जिस प्रकार हमने पहले किया था।
- अब हमे अपने बाएं पैर के घुटने को मोडिय और उस पैर पर ही अपने पूरे शरीर का भार डालते हुए हमे कुर्सी पर पैर लटकाए बैठे हुए जैसी मुद्रा में समकोण बनाते हुए बैठना है बिल्कुल उसी प्रकार जिस प्रकार हमने अपने दाये पैर को किया था।
- ध्यान रखने हेतु परमावश्यक बात इसमें ये है कि इस बार हमे बाए पैर की मुद्रा में उतनी ही देर बैठना है जितनी आप दाये पैर की मुद्रा बनाकर बैठे थे समय का संतुलन बनाए रखना संकटासन/sankatasana में अत्यधिक आवश्यक होता हैं तो आप आसन लगाते समय अपने पास एक घड़ी रख ले।
संकटासन लगाने की अवधि (duration)
- इस आसन को दोनों पैरों से बारी-बारी बराबर समय तक लगाना चाहिए।
- यह आसन 3-3 सेकंड्स से लेकर 3-3 मिनट तक दोनों पैरों से लगाना चाहिए।अर्थात पहले दाएं पैर से 3 मिनट तक फिर बाएं पैर से 3 मिनट तक।
संकटासन की सावधानियां | Sankatasana Precautions
इस आसन में वैसे तो कोई विशेष सावधानी बरतने वाला खतरा नहीं रहता है,बस निम्नलिखित कुछ बातों का ध्यान रखें -
- इसको पहली बार करते समय किसी को सहारे के लिए बगल में खड़ा कर लें, जिसकी सहायता से आपको संतुलन बनाते समय गिरने का भय नहीं रहेगा।
- इसको शुरू शुरू में अधिक नहीं लगाए वरना आपके पैरों की मांसपेशियों में दर्द हो सकता है।
0 टिप्पणियाँ