पश्चिमोत्तानासन / Pashchimottanasana
Pashchimottanasana से शरीर की पश्चिम अर्थात् पीछे की मांसपेशियों, नस - नाड़ियों का खिचाव होता है। इसी कारण इसे pashchimottanasana कहते हैं।
योगासनों में Pashchimottanasana का अपना ही एक महत्वपूर्ण स्थान है। आसनों का ऐसा कोई भी अभ्यासी नहीं होगा जो इसे प्रतिदिन ना करता हो। इसी बात से इसका महत्व स्पष्ट होता है।
Pashchimottanasana से सम्पूर्ण शरीर का विशेषकर उदर, मेरुदंड, घुटनों, स्कांधभूजाओं( कंधो और हाथों) और वृक्क के स्थान का अच्छा व्यायाम होता है। इसी कारण यह स्वास्थ्य के संरक्षण और स्वास्थ्य के सुधार दोनों के लिए ही बड़ा उपयोगी है। एवम् अंग अंग की सक्रियता बढ़ाने वाला है।
पश्चिमोत्तानासन करने के लाभ | benefits of pashchimottanasana
- इस asana से यकृत(liver), प्लीहा (spleen), क्लोम(clove), पेडू , श्रुद्रंत (small intestine), बृहद्रंत्र (large intestine) में अच्छा तनाव होता है जिससे इन अंगों में प्रचुर मात्रा में शुद्ध रक्त का प्रवाह होता है जिससे ये अंग स्वस्थ और निरोगी रहकर अपने अपने कार्य ठीक से करते हैं।
- उदर और जंगामूल के रोग ( अरुचि, अजीर्णता, मंदाग्नि, कब्ज, सायटिका, संधिवात) आदि का निवारण होता है।
- इस आसन से भूख खुलकर लगती है । जठराग्नि तीव्र होती है।
- पेचिश की बीमारी को दूर करने के लिए यह आसन रामबाण है।
- Pashchimottanasana के समूचे और प्रतिदिन अभ्यास से मधुमेह जैसी असाध्य बीमारियां भी जड़ से नष्ट हो जाती हैं। क्योंकि क्लोम ग्रंथि - समूह इस आसन से स्वस्थ होती हैं।
- गर्भाशय की कमजोरी मिटाने में pashchimottanasana एक प्रसिद्ध आसन है।
- इस आसन से यौन विकार नष्ट होते हैं।
- मासिक धर्म की अनियमिताओं में इस आसन का अभ्यास करने से लाभ होता है।
- इससे फेंफड़ों की कमजोरी दूर होती है और वे बलशाली होते हैं। जिससे खांसी और टी.बी. की बीमारी भी बिल्कुल ठीक हो जाती है। और दमा में भी लाभ होता है।
- इससे सोने(पिछली तरफ की) वाली पसलियां मजबूत होती हैं। और वहां के पेशियां फैलती हैं , शुद्ध रक्त प्रवाह होने से वे निरोगी भी होती हैं।
- कंठमाला, टॉन्सिल्स का बढ़ना भी रुक जाता है।
- इस आसन से हृदय रोग, उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियां नहीं हो पाती और जिनको पहले से ये बीमारी होती हैं उनकी बीमारी में लाभ होने शुरू हो जाता है।
- मेदोवृद्धी(मोटापे) से जो लोग परेशान हैं। उनके लिए तो यह रामबाण व्यायाम होता है, इससे एक 6 माह तक नियमित अभ्यास और भोजन में संयम से आशातीत लाभ होता है।
- Pashchimottanasana को करते समय अगर अपने ईष्ट का ध्यान लगाया जाए तो सहज में ही मन स्थिर हो जाता है। इससे Pashchimottanasana ke benefits काफी ज्यादा बढ़ जाएंगे
पश्चिमोत्तानासन करने की विधि |
- सबसे पहले पृथ्वी पर दरी या कम्बल बिछाकर पीठ के बल लेट जाइए।
- अब दोनों हाथो को कानों को से सटाते हुए सिर की सीध में सीधा कर लीजिए।
- Pashchimottanasana में दोनों पैर बिल्कुल सीधे और एक दूसरे से सटे हुए होने चाहिए। पैर के अंगूठे आसमान की ओर तने हुए होने चाहिए।
- अब दोनों हाथो को कानों से सटा कर धड ( कमर के उपर का हिस्सा ) समेत धीरे धीरे उठईये।
- अब आगे की ओर झुकते हुए सांस को पूरा बाहर निकाल दीजिए और हाथो की उंगलियों से पैरो के अंगूठों को पकड़िए। अब मन पर जोर देकर पेट के निचले हिस्से को अंदर की तरफ खीचिये या पीठ से चिपकाने का प्रयास कीजिए और गुदा द्वार (anus) अंदर की ओर खीचिए। जितनी देर तक सांस को आसानी से रोक कर ये के सकते हैं उतनी देर तक करिए।
- उसके बाद धीरे धीरे सांस को लेते हुए पहली स्तिथि में आ जाइए और पृथ्वी पर लेट जाइए। इसके बाद 5-7 सेकेंड तक आराम करके पुनः इस आसन को करें।
- शुरू शुरू में pashchimottanasana को करने के लिए आपको सांस रोकने या गुदा संकोच करने की आवश्यकता नहीं है। और अगर आप अंगूठा नहीं छू पाते तो निराश मत होइए बस 3-4 सप्ताह तक प्रतिदिन इसका अभ्यास कीजिए अपने आप होने लग जाएगा।
आसन काल -
Pashchimottanasana को शुरू शुरू में सिर्फ 5-10 सेकंड्स तक ही करें। धीरे धीरे जब इसका अभ्यास होने लग जाए तो इसका समय हर हफ्ते 5 सेकेंड बड़ाना चाहिए। इस आसन को जितनी देर आप आराम से सांस रोक सकते हैं उतनी देर तक करिये। और 3-10 बार तक कर सकते हैं।
Pashchimottanasana में विशेष सावधानियां -
Pashchimottanasana में नए अभ्यासी को विशेष सावधान रहना चाहिए और आसन जल्दबाजी में नहीं करना चाहिए।
- पहली स्तिथि से उठते समय जलदबाजी ना करें वर्ना कमर में दर्द या झटका आ सकता है
- कभी भी पैर के अंगूठे को पकड़ने में जल्दबाजी ना करें। झटके से घुटने पे सिर लगाने से चिक चले जाने का भय रहता है और कमर या घुटने की नस उपर चड़नें का खतरा भी रहता है।
- अंगूठे पकड़ते समय घुटना उपर नहीं उठना चाहिए वरना इस आसन से कोई भी लाभ नहीं होगा। घुटना बिना उठे जितना आगे झुक सकते हैं उतना ही झुकें। भले ही आपका सिर घुटने से लग जाए परन्तु आपके घुटने उठे हुए हो तो इस आसन का कोई लाभ नहीं है
- जिसके कमर में दर्द रहता है उसको यह आसन नहीं करना चाहिए
- गर्भवती महिलाएं इसे 3 माह के बाद की स्तिथि में ना लगाएं।
- जिसके चोरा जाता रहता हो या कमर में झटका लगा हो उसे भी यह आसन नहीं लगाना चाहिए। स्लिप डिस्क वाले मरीजों को भी यह आसन नहीं लगाना चाहिए।
FAQs (in english)
Q.) 🙊What are the contraindications of Paschimottanasana?
Ans.) The conditions in which this posture should not be applied are as follows - slip disc, kidney / gall bladder stone and 3 months pregnant. (Important)
Q.) 🤨How do you do Paschimottanasana and what are its benefits?
Ans.) It's an asana that is performed in a seated position by touching/holding your feet and it is very beneficial for the growing kids as well for grandparents, to learn the exact way ,read our article carefully
Q.) 🙄Can we eat something before practicing Pashchimottanasana?
Ans.)😌A big "No". We have to practice it empty in the morning or after 3-4 hours of having meal or do not eat anything from past 3 hours before practicing it
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