पद्मासन|Padmasana
पद्मासन / Padmasana ध्यान लगाने के लिए सर्वश्रेष्ठ है। पद्मासन का सभी आसनों में विशेष महत्व है। ।पद्मासन में पद्म का अर्थ ' कमल ' और आसन का अर्थ बैठे का ढंग होता है। इस आसन का नाम "पद्मासन" इसलिए रखा गया क्योंकि जब इस आसन में बैठते हैं तो पैरो के तलवे ऊपर की तरफ और हाथ खिले हुए कमल की भांति प्रतीत होते हैं। इसलिए इस आसन का रूप देखने में बहुत कुछ कमल के पुष्प जैसा लगता है।
यह आसन तीन प्रकार का होता है। अर्ध पद्मासन , पद्मासन और बद्ध पद्मासन। इनमें से मुख्य तो पद्मासन ही होता है, परन्तु बाकी दोनों आसनों के अपने विशेष महत्व होते हैं। जैसे जिनका शरीर बहुत सख्त होता है उनकी नस - नाड़ियां कड़क होती हैं तो उनको शुरू में अर्ध पद्मासन ही लगाना चाहिए या जिनका शरीर बहुत मोटा होता है उनसे यह आसन नहीं लग पाता तो उनको भी शुरू में अर्ध पद्मासन ही लगाना चाहिए। ज्यों - ज्यों आपके पैरों में नस - नाड़ियां व मांसपेशियों लचीली होने लग जाएं तब आपको पद्मासन का अभ्यास शुरू करदेना चाहिए। पहले अर्ध पद्मासन और पद्मासन के बारे में सीखते हैं फिर बद्ध पद्मासन के विषय में पढ़ेंगे -
अर्ध पद्मासन
- सबसे पहले पैर फैला कर सीधे बैठ जाएंं।
- अब उल्टे पैर को मोड़कर पंजा सीधे पैर की जांघ के उपर और सीधे पैर का पंजा उल्टे पैर की जांघ के नीचे रखें।
- सिर , गर्दन और रीढ़ एक सिद्ध में रखिए मतलब पीठ को एकदम सीधे रखकर बैठना है।
- हाथो को सीधा कर के घुटनों पर रखें।
- जब उल्टे पैर में थकान होने लगे तब पैर बदल कर सीधे पैर का पंजा मोड़ कर उल्टे पैर की जांघ पर रखें और उल्टे पैर का पंजा सीधे पैर की जांघ के नीचे रखे।
पद्मासन मुद्रा | Padmasana pose
पद्मासन के लाभ | Benefits of Padmasana -
महानुभावों ने पद्मासन के लाभ अनेक बताए हैं। ये दिव्य आसन शरीर के साथ साथ मन को भी स्वस्थ करता है। पद्मासन के लाभ और इसकी महत्वता अध्यात्म के मार्ग में सबसे ज्यादा उपयोगी सिद्ध होती है। क्योंकि यह आसन ध्यान केंद्रित करने और रीढ़ सीधी करके बैठने में अपूर्व सहायता करता है तो हमने इस दिव्य आसन के लाभ निम्नलिखित पंक्तियों में वर्णित किए हैं -
- यह आसन नीचे के अंगों को मजबूत करता हैं कमर और इससे नीचे की नस नाड़ियों को मजबूत व लचीला करता है।
- इस आसन में मेरुदंड को सीधा रखा जाता है जिससे सुषुम्ना नाड़ी में प्राण को गति बढ़ जाती है, इसी कारण इसे बुद्धि तेज होती है तथा विचार शक्ति अच्छी हो जाती है।
- जैसा कि मैंने पहले बताया की इस आसन का ध्यान लगाने के लिए विशेष महत्व है। इसके बहुत से आध्यात्मिक लाभ है। साधना के लिए यह उत्तम आसन है।
- इसे अगर जालंधर बंध और मूल बंध के साथ लगाया जाएं तोह इससे पाचन तंत्र संबंधित विकार(बीमारियां) दूर होती है।भूख खुलकर लगती है।
- इससे वात रोग भी शांत होते है शरीर की सातों धातुएं मजबूत होती हैं।
- Padmasana को किसी भी आयुवर्ग(age group) के लोग लगा सकते हैं। इस आसन को उड्डीयान बांध के साथ लगाया जा तो इसके फायदे कई गुणा हो जाते हैं। जब इस आसन के बाद पैरो को सीधा करा जाता है तो शुद्ध रक्त तेज गति से कमर व पैरो में बहता है जिससे ये स्वस्थ होते हैं।
- यह आसन जठराग्नि को तेज करता है जिससे आपकी पाचन क्षमता बढ़ती है और फल स्वरूप पेट से जुड़े अनेक रोग जैसे की अपच, गैस बनना, भूख कम हो जाना और कब्ज जैसी बीमारी इसके निरंतर अभ्यास करने वालों को कभी नहीं होते।
- सबसेें पहले पैरो को सामने की ओर फैला कर बैठ जाएं।
- अब सीधा पैर को उल्टे पैर की जांघ पर रखें और उल्टे पैर को सीधी जांघ पर रखिए। दोनों पंजे जंघाओं पर अच्छे से रखे होने चाहिए। और ये ध्यान रखिए कि दोनों पैरो की एड़ियां नाभि की सीध में हो और जांघो के मूल(roots) को छू रही हों। तलवो का मूह आसमान की ओर हो। एड़ियां अगर आपस में एक दूसरे को छू सकें तो और भी अच्छा है।
- इसके बाद सीधे हाथ की हथेली के पिछले हिस्से को उल्टे हाथ की हथेली पर रखते हुए ऐड़ी पर रख सकते हैं या हथेलियों को घुटनों पर भी रख सकते हैं।
- जांघ और घुटने धरती से चिपके हुए रहने चाहिए हवा मी उठे हुए नहीं।
- सिर गर्दन और मेरुदंड एक सीध में रहने चाहिए और सीना उपर उभरा हुआ।
- इसमें आप दृष्टी को भौंहों(eyebrows) के बीच में या नाक के अग्रभाग(tip) पर रख सकत है, और आंखें बन्द करके अपने इष्ट का ध्यान भी कर सकते है।
पद्मासन कितनी देर तक लगाएं ?
इस आसन को शुरू में लगभग 1-5 मिनट तक लगा सकते हैं अपने सामर्थ्य अपनुसर। इसे लगाने का समय धीरे धीरे बड़ाना चाहिए। जो साधक इसे सिद्ध कर लेते हैं वे इसे 3 घंटे तक बिना किसी दिक्कत के लगा लेते हैं।
किसी विशेष बीमारी के लिए इसे आधे से पौने घंटे तक लगाने का प्रयास करना चाहिए। इसका समय एकदम से ना बढ़ाएं बल्कि धीरे धीरे बढ़ाएं, शरीर से जोर जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए।
शुरुआत में baddha-padmasana थोड़ा कठिन लगेगा परन्तु समय के साथ शरीर लचीला होने लगेगा तो अपने आप अंगूठे पकड़ में आने लगेंगे। नहीं तो बारी बारी एक हाथ से ही अंगूठा पकड़ने का प्रयास करें दोनों हाथो से समान देर तक।
और जब अभ्यास में पक्के हो जाएं तो आप बद्ध पद्मासन में सांस को पूरा छोड़ के ठुड्डी को कंठकूप से लगाकर माथा सामने झुक कर धरती पर लगा सकते हैं और सरलता से जितनी देर तक सांस को बाहर रोक सकें उतनी देर करना चाहिए फिर धीरे धीरे वापिस पहली वाली स्तिथि मे आजाएं। इससे पूरे शरीर पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। इससे thyroid और para thyroid ग्रंथियों पर विशेष प्रभाव पड़ता है साथ ही टॉन्सिल की समस्या में भी लाभ होता है।
विशेष सावधानियां -
बद्ध पद्मासन/ baddha-padmasana को खाली लेट ही करना चाहिए। चाय या पानी पीने के भी कम से कम 1 घंटे बाद ही करना चाहिए और भोजन करने के 3-4 घंटे बाद ही करना चाहिए, वरना बहुत ज़्यादा हानि हो सकती है। पेट में अगर दर्द हो तो उस समय भी नहीं करना चाहिए। जब पेट हलका और खाली हो तभी इसे लगाना चाहिए।
इस आसन को शुरू में लगभग 1-5 मिनट तक लगा सकते हैं अपने सामर्थ्य अपनुसर। इसे लगाने का समय धीरे धीरे बड़ाना चाहिए। जो साधक इसे सिद्ध कर लेते हैं वे इसे 3 घंटे तक बिना किसी दिक्कत के लगा लेते हैं।
बद्ध पद्मासन | Baddha Padmasana
Baddha padmasana भी बैठकर किया जाने वाला बड़ा उत्तम व्यायाम है।
लाभ -
- नियमित रूप से इस आसन को लगाने से आलस्य, तंद्रा(नींद के झटके आना),निद्रा, सुस्ती आदि विकार दूर होते हैं, वीर्य विकार भी नष्ट होते हैं
- मृगी (epilepsy) , क्षय (T.B.) , दमा(asthma), खांसी, कांच निकालना, भगंदर आदि बीमारियों को जड़ से नष्ट करने में समर्थ है
- Baddha-padmasana पाचन शक्ति को तीव्र करता है , मंदाग्नि और अजीर्णता का नाश करता है।
- कमर से ऊपर के अंगों को सबल बनाता है, कमजोर पसलियां इससे मजबूत बनती हैं व सीना चौड़ा होता है। जो इस आसन को नियमित रूप से लगता है उसे pneumonia जैसे रोग उसे कभी नहीं होते।
- मेरूदण्ड की वक्रता(टेढापन) इससे ठीक होता है। उदर गुहा(rectum), क्षुद्रंन्त्र (small इंटेस्टाइन) और वृध्दन्त्र (large intestine) पर इसका अच्छा प्रभाव पड़ता है वे बलवान और अधिक क्रियाशील होती हैं।
- यह आसन शरीर से चर्बी खत्म करता है ,और बाल बड़ाता है।
- इस आसन से सामान्य स्थिति में आने पर शरीर में शुद्ध रक्त का प्रवाह होता है और शरीर की नस नाड़ियां शुद्ध होती हैं, जिससे सायटिका के दर्द के लाभ होता है
- सबसे पहले पद्मासन की स्तिथि में आ जाइए।
- अब दोनों हाथो को पीछे से मोड़कर सीधे हाथ से सीधे पैर का अंगूठा और उल्टे हाथ से उल्टे पैर का अंगूठा पकड़िए, फिर ठुड्डी को कंठकूप( गले का निचला भाग जहां पे पसली का ज्वाइंट होता है) से लगाइए।
- इस स्थिति मै 1 से 3 मिनट तक रह सकते हैं, शुरू शुरू के 10-10 सेकेंड तक लगाइए।
- जैसे जैसे अभ्यास होता जाए तो धीरे धीरे समय बढाते जाएं।
किसी विशेष बीमारी के लिए इसे आधे से पौने घंटे तक लगाने का प्रयास करना चाहिए। इसका समय एकदम से ना बढ़ाएं बल्कि धीरे धीरे बढ़ाएं, शरीर से जोर जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए।
शुरुआत में baddha-padmasana थोड़ा कठिन लगेगा परन्तु समय के साथ शरीर लचीला होने लगेगा तो अपने आप अंगूठे पकड़ में आने लगेंगे। नहीं तो बारी बारी एक हाथ से ही अंगूठा पकड़ने का प्रयास करें दोनों हाथो से समान देर तक।
और जब अभ्यास में पक्के हो जाएं तो आप बद्ध पद्मासन में सांस को पूरा छोड़ के ठुड्डी को कंठकूप से लगाकर माथा सामने झुक कर धरती पर लगा सकते हैं और सरलता से जितनी देर तक सांस को बाहर रोक सकें उतनी देर करना चाहिए फिर धीरे धीरे वापिस पहली वाली स्तिथि मे आजाएं। इससे पूरे शरीर पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। इससे thyroid और para thyroid ग्रंथियों पर विशेष प्रभाव पड़ता है साथ ही टॉन्सिल की समस्या में भी लाभ होता है।
विशेष सावधानियां -
बद्ध पद्मासन/ baddha-padmasana को खाली लेट ही करना चाहिए। चाय या पानी पीने के भी कम से कम 1 घंटे बाद ही करना चाहिए और भोजन करने के 3-4 घंटे बाद ही करना चाहिए, वरना बहुत ज़्यादा हानि हो सकती है। पेट में अगर दर्द हो तो उस समय भी नहीं करना चाहिए। जब पेट हलका और खाली हो तभी इसे लगाना चाहिए।
अगर आपको इससे जुड़ा कोई सवाल पूछना है तो आप बेझिजक पूछ सकत हैं
0 टिप्पणियाँ