Pawanmuktasana | पवन मुक्तातासन
पवनमुक्तासन |
आपसे एक छोटा सा संवाद
आपसे एक छोटा सा संवाद
आसन के बारे में पढ़ने से पहले कुछ क्षण हम अपने आस पास और अपने परिवार में उत्पन्न हो रहीं परिस्थितियों के बारे में विचार करते हैं।
इस नए दौर में हम देख रहें हैं की पेट की गैस की समस्या लगभग सभी को किसी न किसी रूप से परेशान कर रही है। लोग कुछ भी उल्टा सीधा विरुद्ध आहार खा रहे हैं, जिससे उनका metabolism खराब हो रहा है। Junk food का अत्यधिक सेवन भी एक कारण है की लोगो में मोटापा और गैस की बीमारी घर करने लग गई है।
किसी की पेट की वायु निकलती नही तो किसी के अत्यधिक बनती है 😅। थोड़ा सा भारी या पौष्टिक खाते ही, लोगो के पेट में गैस बनना शुरू हो जाती है और उसके बाद किसी को वमन(vomiting) तो किसी के सर दर होना शुरू हो जाता है और तो और किसी का ब्लड प्रेशर बढ़ना शुरू हो जाता है। ये लगातार गैस की समस्या बच्चों से लेकर बड़े बूढ़े लोगो में बढ़ रही है जिसका सबसे बड़ा कारण है उनका लीवर जो की अपनी कार्य क्षमता खो रहा है।
आजकल की जीवन शैली ही कुछ ऐसी होती जा रही है, जिसका सबसे बुरा असर आपके पेट पर ही हो रहा है।
आप लोगो ने देखा होगा की आजकल गैस की बीमारी हर घर में किसी न किसी को अवश्य होगी , तो आइए आज हम एक ऐसे आसन से आपका परिचय कराएंगे जोकि कुछ देर के अभ्यास के बाद या कुछ दिनों के अभ्यास के बाद आपकी गैस जाम होने की समस्या से आपको छुटकारा दिलाने में सहायक रहेगा।
इस अद्भुत आसन का नाम है "पवनमुक्तासन"।
पवनमुक्तासन का अर्थ ( Meaning of Pawanmuktasana ) -
जैसा कि इस आसन का नाम है, ऐसा ही इस आसन का काम है।
जी हां 👍,सही समझे आप पवनमुक्तासन का अर्थ है - "पवन - मुक्त - आसन"🌬️ , इस आसन के प्रतिदिन अभ्यास से आपके पेट की वायु मुक्त होना शुरू हो जाएगी । आम भाषा में कहें तो आपके पेट की "Gas pass" होना शुरू हो जाएगी है।
पवन मुक्तासन के 2 चरण(level) होते हैं -
- एकल पवनमुक्तासन / अर्ध पवनमुक्तासन
- द्विपाद पवनमुक्तासन
पवनमुक्तासन के लाभ | Pawanmuktasana Benefits -
- 1 ग्लास गुनगुना जल पीने के १० मिनिट बाद इस आसन को लगाने से कब्जियत में आशातीत लाभ होता है
- इस आसन को प्रतिदिन लगाने से अर्श के रोग में बहुत लाभ होता है।
- पवनमुक्तासन लगाने से अपान वायु(पेट की गैस) निकलने में बड़ी सहायता मिलती है, और पेट की वायु शांत रहती है।
- लीवर और क्लोम ग्रंथि को मजबूती प्रदान करने में ये आसन अति सहायक है।
- इस आसन से पाचन क्रिया तेज होती है, जिससे चर्बी कम करने में ये आसन सहायक सिद्ध होता है।
- पवनमुक्तासन लगाने से फेफड़े और हृदय को बल मिलता है अथवा इनका स्वाथ्य बढ़ता है।
अब आप सोच रहे होंगे की ये pawanmuktasana आखिर इतने सारे पेट से जुड़े रोगों को ठीक करने में इतना सहायक क्यों है..??
इसका उत्तर यह है की इस आसन का मुख्य दवाब आपके पेट पर ही पड़ता है, पेट पर दवाब पड़ने से पेट के अंदरूनी सभी अंगों में रक्त का बहाव बढ़ता है, खून के दवाब में बहने से अंदर की कोशिकाओं और अंगों में रक्त उन अंगो की जमी हुई गंदगी को निकाल देता है और अंगों में शुद्ध रक्त का प्रवाह बढ़ता है। जिससे वे स्वस्थ होने लगते हैं।
पवनमुक्तासन लगाने की विधि |Pawanmuktasana steps -
इस आसन को आप सुबह सुबह सोकर उठने के बाद भी लगा सकते हैं, पानी पीने के 15 - 20 मिनट के बाद भी लगा सकते हैं।
जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया कि पवनमुक्तासन को लगाने के २ चरण हैं एकपाद और द्विपाद पवनमुक्तासन।
पवनमुक्तासन लगाने से पहले देखें की आपकी कमर, कूल्हे और जांघ लचीले हैं या नही।
अगर कम लचीले हैं तो आपको कुछ दिनों तक धीरे धीरे पहले चरण का ही अभ्यास करना चाहिए, उसके बाद ज्यो - ज्यो कमर और जांघ खुलते जाएं त्यों - त्यों आप इसके दूसरे चरण का अभ्यास शुरू कर सकते हैं ।
अब हम एक एक करके दोनो चरणों के बारे में पढ़ते हैं जिनके नाम एकल पवनमुक्तासन(1st level) और द्विपाद पवनमुक्तासन(2nd level)।
एकल पवनमुक्तासन/अर्ध पवनमुक्तासन
अर्ध पवनमुक्तासन करने की विधि (Ardh -pawanmuktasana steps) कुछ इस प्रकार है -
- सबसेबसे पहले भूमि पर एक नरम सा आसन बिछा कर पीठ के बल लेट जाएं।
- दोनो हाथो को बगल से सटा कर एकदम सीधा रख लीजिए और पर भी एकदम सीधे रहें ,एडियां परस्पर चिपकी रहें।
- अब गहरी सांस लेकर धीरे धीरे पूरी बाहर निकाल दीजिए और सीधे पैर को मोड़ते हुए घुटने को अपने सीने तक ले आइए और दोनो हाथो से अपने पैर को कसकर पकड़कर अपने पेट पे दवाब डालते हुए अपनी नासिका(नाक) से अपने घुटने को छूने का प्रयास कीजिए("ध्यान रहे की जब सीधा पैर मोड़कर सीने पर लगाया हो, तो उल्टा पैर भूमि पर अच्छे से एकदम सीधा चिपका रहना आवश्यक है" )।
- अब सांस बाहर रोके हुए इसी स्तिथि में जितनी देर तक सरलता से सांस को रोके रख सकते हैं उतनी देर तक ऐसे ही रहें।
- अब धीरे धीरे सांस लेते हुए पैर को पुनः (वापिस) सीधा करके भूमि पर रख लें ।
- कुछ क्षणों तक आराम करें जबतक सांस फूलना बंद न हो जाए, सांस सामान्य होने के बाद यह प्रक्रिया बाएं(उलटे) पैर से करें। दोनो पैरों से एक - एक बार करने पर एक चक्र पूरा होगा।
ऐसे ही दोनो पैरों से बारी बारी करके आप अपनी क्षमता के अनुसार धीरे धीरे प्रयास बढ़ा कर 4 - 5 बार तक कर सकते हैं। जैसे जैसे अभ्यास होता जाए आप इस आसन को 10 - 15 बार तक कर सकते हैं।
पवनमुक्तासन को लगाने की विधि को अच्छे से समझने के लिए नीचे दी गई video देखें 👇
द्विपाद पवनमुक्तासन करने की विधि |Dwipad Pawanmuktasana steps
द्विपाद पवनमुक्तासन लगाने से पहले आप 1 हफ्ते तक प्रथम चरण का अभ्यास करें उसके पश्चात (बाद में) ही द्वितीय चरण का अभ्यास शुरू कीजिए।
अब प्रतिदिन द्वितीय चरण का पवनमुक्तासन लगाने से पहले भी प्रथम चरण के आसन को 5 - 6 बार तक लगा लें, इसके बाद ही इसको लगाएं।
द्विपाद-पवनमुक्तासन लगाने की विधि( Dwipad Pawanmuktasana steps) कुछ इस प्रकार है -
- आसन पर एकदम शांत लेट जाएं।
- अब सांस को छोड़ते हुए दोनो पैरों को एकसाथ घुटने से मोड़कर दोनो पैरों को छाती से चिपका लीजिए और विशेष ध्यान रहे की दोनो पैरों के घुटने और एडियां एक दूसरे से अच्छे से चिपकी रही।
- अब दोनो हाथो की उंगलियों को एकदीसरे में फसाकर पैरों को यथा संभव ज़ोर देकर अपने सीने से लगाए जिससे आपके पेट पर विशेष जोर पड़े।
- यह इस आसन की चरम अवस्था है, इसमें आते ही आप सांस को सामान्य रूप से लेते छोड़ते रह सकते हैं वरना आप सांस को बाहर रोक रख कर भी लगा सकते हैं।
अगर आप सांस सामान्य रूप से ले रहे हैं तो इस अवस्था में आप 1 से 2 मिनट तक रह सकते हैं। और अगर आप सांस को बाहर रोके रख कर लगा रहें हैं तो आप जितनी देर तक सरलता से सांस रोके रख सकते हैं ,उतनी देर ही लगाइए।
पवनमुक्तासन में विशेष सावधानियां ( Precautions in pawanmuktasana)-
- जिनके शरीर में कहीं भी ऑपरेशन हुआ हो तो ,उन्हें भी pawanmuktasana 4-5 महीनों के बाद ही का अभ्यास शुरू करें।
- गर्भवती स्त्रियां इस आसन को नही लगाएं।
- पवनमुक्तासन को हमेशा खाली पेट ही लगाना चाहिए।
- आप इस आसन को भोजन करने के 2 घंटे बाद भी लगा सकते हैं।
- जिनको हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है वे इस आसन को कम ही लगाएं।
- जिनकोनकोनको माइग्रेन, सर्वाइवल स्पॉन्डिलाइटिस की समस्या है वे लोग नाक घुटने से न लगाएं और सिर को सीधा रखे ।
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