भुजंगासन के 8 विशेष लाभ और इसकी सावधानियां 😌 | Benefits of Bhujangasana in Hindi, Steps and Precautions| Cobra Pose

भुजंगासन/Bhujangasana

Bhujangasana-benefits



भुजंगासन का अर्थ |Meaning of bhujangasana 

 भुजंगासन / Bhujangasana में भुजंग का अर्थ सांप होता है और आसन का अर्थ बैठने का ढंग। इस आसन मे सिर और नाभि के ऊपर के भाग की आकृति फन फैलाए सांप जैसी प्रतीत होती है। इसलिए इस आसन को भुजंगासन, सर्पासन या नागासन कहते हैं। यह आसन लगाने के तीन प्रकार है। पहले एक के बारे में बात करते हैं उसके बाद शेष दोनों के बारे में बताऊंगा। 

भुजंगासन के लाभ |Bhujangasana benefits -

इसका नाम सुनकर अब आपके मन में यही प्रश्न आ रहा होगा की - 🤔 भुजंगासन से क्या लाभ है?
तो 😌आपकी इन जिज्ञासा की लहरों को शांत करने के लिए हमने इसके benefits का वर्णन निम्न पंक्तियों में किया हुआ है - 👇
  • पाचन संबंधित रोगों में - Bhujangasana / भुजंगासन से भूंख़ बढ़ती है, जठराग्नि तीव्र होती है और पाचन संबंधी रोग ठीक होते हैं। पेट पर स्वाथ्यकर दवाब पड़ता है, जिससे कि पूरे पेट के सभी अंगों में शुद्ध रक्त प्रवाह होने की वजह से सभी अंगो के रोग दूर होते हैं। 
  • मेरुदंड/रीढ़(spine) के लिए अमृत - इस का मेरुदंड पर सबसे ज़्यादा प्रभाव पड़ता है। रीढ़ की हड्डी लचीली और स्वस्थ होती है, पीठ की पेशियां लचीली और मजबूत बनती हैं। रीढ़ की कोशिकाओं के बीच - बीच से नाड़ियां के अनेक जोड़े निकलते हैं। इड़ा और पिंगला नामक नाड़ियां भी मेरुदंड के अगल बगल में अवस्थित बताई जाती है, इस आसन से इन नाड़ियों को पर्याप्त मात्रा में शुद्ध रक्त( पोषण) मिलता है जिससे उनकी सक्रियता बढ़ती है। परिणामत: bhujangasana के अभ्यासी को अपने अंदर उमंग,स्फूर्ति और उत्साह दिन भर बना रहता है। कुण्डलिनी शक्ति को सक्रिय करने में भी यह आसन बड़ा सहायक है, इसी कारण इस आसन का आसनों में विशेष महत्व है।
  • स्त्रियों के लिए भी उपयोगी स्त्रियों के लिए भी यह बड़ा उपयोगी आसन है। इसके द्वारा गर्भ की कमजोरी नष्ट होती है और डिम्बाशय और जरायु आदि स्वस्थ होते हैं और मासिक धर्म की सभी अनियमितताएं दूर होती है।
  • पुरुषों के लिए - Bhujangasana के अभ्यासियों का यह भी मानना है कि इस आसन के अभ्यास से ब्रह्मचर्य के पालन में बहुत सहायता मिलती है। सुबह और शाम इस आसन के अभ्यास से स्वप्नदोष सर्वथा के लिए दूर हो जाता है।
  • पेट के अंगो के लिए - इस आसन से गुर्दे और आंतें स्वस्थ होती हैं। 
  • ताकत बढ़ाने में - इससे गर्दन, पीठ, कंधो,  पसलियां, कमर और हाथो पर भी स्वास्थ्यकर प्रभाव पड़ता है ।
  • थायराइड/ Thyroid  इससे थायरॉयड ग्लैंड भी सही होती है जिससे हार्मोनल अनियमितता थक होती है।
  • फेफड़ों पर प्रभाव - Bhujangasana फेफड़ों को क्रियाशील बनाता है,जिससे टी.बी. और दमा जैसी बीमारियों के होने का कोई भय नहीं रहता। 


भुजंगासन करने की विधि | Bhujangasana steps -


अब इतने सारे लाभ पढ़ने के बाद अब आपके मन में यही प्रश्न आ रहा होगा  की -  "भुजंगासन कैसे करे?"
तो अब यही सब जटिल बात है की, आपको भले ही लाभ अच्छे से याद रहे या ना रहें परंतु आपको इसकी विधि भली प्रकार से याद रहनी चाहिए .!!!🧐, 
हमने काफी सरलता से आपको निम्न steps में अच्छे से समझाने का प्रयास करा है👇😌 -


Bhujangasana-benefits


  1. सबसे पहले दरी या नरम कम्बल बीछा लें।
  2. अब पेट के बल सीधा लेट जाइए और दोनों हाथों की हथेलियों को सीने के बगल में कंधो से थोड़ा नीचे की तरफ पृथ्वी पर रखें।
  3. अब पूरे शरीर को ढीला छोड़ दीजिए, माथे को फर्श पर टिका लीजिए, पैर एकदम सीधे और एकेदुसरे से सटे होने चाहिए ऐड़ी से ऐड़ी और अंगूठे से अंगूठा लगा होना चाहिए।
  4. अब सांस भरते हुए सबसे पहले धीरे धीरे सिर को उठाइए और फिर पीठ की मांसपेशियों और हाथो के बल पर अपने सीने को उपर की ओर उठाते जाइए।
  5. नाभि से लेकर पैरो के अंगूठे पृथ्वी पर ही चिपके रहने चाहिए।
  6. जितनी देर तक सरलता से सांस रोक सकते हैं उतनी देर तक इसी स्तिथि में बने रहिए। फिर धीरे धीरे सांस छौढ़ते हुए पहले स्तिथि में आ जाइए।

भुजंगासन को करने की विधि और अच्छे से समझने के लिए नीचे दी गई video देखें 👇





Bhujangasana की दूसरी विधि

इस तरीके में हथेलियों को छाती के बगल में नहीं बल्कि दोनों हथेलियों को एक के उपर एक इस तरीके से रखना है कि उंगलियां एक दूसरे पर हो कोई भी उंगली हथेली के नीचे ज़ोर से दबनी नहीं चाहिए वरना असुविधा होगी। और उसपर अपना माथा रखना होता है। बाकी सब पहले वाले की तरह होगा।

इस आसन की तीसरी विधि -

यह विधि बाकी दोनो से बिल्कुल अलग होगी। इसमें हथेलियों को सीने के अगल बगल रख लें पहली विधि की तरह। पर इसमें आपको हथेलियों को भी सीने के साथ उठाना है।
जिस प्रकार से भूमि पर पहली स्तिथि में हथेलियों होंगी उसी तरीके से आखिरी स्तिथि में भी उसी तरह हवा में सीने के अगल बगल रखनी होगी।
इसमें बस सिर और थोड़ा बहुत सीना हवा में उठ पता है तो कोई ज़ोर जबरदस्ती ना करें।
बाकी सांस लेने और छोड़ने का तरीका तीनों विधि में एक ही प्रकार से रहेगा। 
(भुजंगासन / Bhujangasana का पूरा लाभ उठाने के लिए तीनों विधियों को बारी-बारी लगाना चाहिए। ऐसा मेरा अनुभव है)
 



आसन लगाने की अवधि ( Duration)

प्रश्न.)  भुजंगासन कितनी बार करें?
उ.) इस आसन को आप प्रतिदिन क्षमता के अनुसार निम्न अवधि तक लगा सकते हैं -
  • शुरू - शुरू में यह आसन 5-10 सेकंड्स तक ही लगाना चाहिए। धीरे - धीरे समय को बढ़ाना चाहिए। इस आसन का समय 1 मिनट तक लेजाना चाहिए।
  • यह आसन 3-7 शुरू में और जब आपको काफी समय का अभ्यास हो जाए तो ये 8-10 बार तक लगाया जा सकता है।

(विशेष सावधानियां)

  • Bhujangasana हर्निया के मरीज को नहीं लगाना चाहिए।
  • जिसके सिर में अधिक दर्द रहता हो उसको यह आसन अच्छे से परामर्श लेकर लगाना चाहिए।
  • स्लिप डिस्क के पेशंट को यह आसन धीरे धीरे और बहुत कम लगाना चाहिए।
  • नाभि से नीचे का हिस्सा आखिरी स्तिथि में भूमि से नहीं उठना चाहिए।






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