वज्रासन / Vajrasana
Vajrasana/वज्रासन पाचन संबंधित रोगों के लिए रामबाण व्यायाम है। प्रतिदिन अन्य आसनों के साथ शुरुआत में ये आसन ज़रूर लगाना चाहिए।
vajrasana-steps |
वज्रासन के लाभ |vajrasana benefits -
- वज्रासन भोजन के आधे घंटे बाद लगा सकते हैं। जिससे यह आपके भोजन को अच्छे से पचाने में सहायता करता है।
- यह आसन उच्च रक्तचाप को कम करने में भी सहायता करता है।
- पचनांगो को पुष्ट करने और पाचन शक्ति बढ़ाने के लिए इस आसन की बड़ी प्रसिद्धि है।
- यह आसन भयंकर कटिशूल (कमरदर्द) और गृध्रसी(सायटिका) में बहुत लाभ पहुंचाता है।
- कफ, वायुविकार संधिवात आदि भी इस आसन से दूर होते हैं।
- कमर, रीढ़, घुटनों, और पैरो की क्रियाशीलता बढ़ती है तथा वे मजबूत और स्वस्थ होते हैं पांडु रोग भी इस आसन के अभ्यास से ठीक होता है।
- जिनकी कमर में दर्द, ऐड़ी में दर्द या सायटिका का दर्द होता हो। उन्हें यह आसन पूरे शरीर में तेल की मालिश करके सुबह को धूप में सूर्य की तरफ पीठ करके बैठ जाना चाहिए और पर अगर गरमी अधिक हो तो सिर पर एक हलकी गीली तौलिया रख लेनी चाहिए। इस आसन के बाद पवनमुक्तासन / Pawanmuktasana लगाने से भी बहुत लाभ होता है।
वज्रासन लगाने की विधि | Vajrasana steps
- किसी स्वच्छ स्थान पर एक नरम बिछोना बिछाकर बैठें।
- अब घुटनों को मोड़कर पैरों के उपर बैठ जाएं।
- दोनों पैरों की एडियां आपस में सटी रहनी चाहिए (शुरू शुरू में दिक्कत होती है तो ऐडियां कूल्हों से बगल में भी रख सकते हैं।)
- दोनों तलव नितम्बों के नीचे दबी होने चाहिए और रीढ़ की हड्डी और सिर एकदम सीधी रखे होनी चाहिए।
- अब सीना तानिये और हाथों को एकदम सीधा करें कोहनियां बिल्कुल भी मुड़नी नहीं चाहिए, हथेलियों को घुंटो पर रखें और उंगलियां एक दूसरे से सटी होनी चाहिए।
- अब आँख बन्द करके दृष्टी को नासाग्र ( नाक की नोक) या भौंहों के बीच में स्थापित करें तो अच्छा रहेगा। मन में अपने इष्ट का ध्यान कीजिए।
- स्वाभाविक रूप से सांस लेते रहिए, धीमी और गहरी सांस लेते रहें।
- आसन लगाने के बाद आराम से शवासन लगा कर लेट जाइए।
वज्रासन लगाने की विधि को अच्छे से समझने के लिए नीचे दी हुई वीडियो देखें 👇
वज्रासन लगाने का समय -
शुरू - शुरू में यह आसन 10-10 सेकेंड के लिए के लिए लगन चाहिए या कम लगाया जा पाए तो 5-5 सेकेंड के लिए भी लगा सकते है जितना आपका सामर्थ्य हो। और बीच बीच में आराम भी कर सकते हैं। जिनके पाओं में लचीला पन कम हो वे हथेलियों को धरती पर रख कर सहारा भी ले सकते हैं। इसका अभ्यास धीरे धीरे बड़ाना चाहिए । लगाने के समय को आधे घंटे तक लेजा सकते हैं। इसके अभ्यास से पहले पद्मासन का भी अभ्यास करना चाहिए।
सुप्त वज्रासन |Supta vajrasana
जब आप वज्रासन को सिद्ध कर लें तब supta-vajrasana का अभ्यास प्रारंभ करना चाहिए। सुप्त vajrasana को साधारण वज्रासन लगाकर पीठ के बल लेटकर लगाते हैं। इसको लगाने के भी 2 तरीके हैं।
सुप्त वज्रासन के लाभ |Benefits of supta vajrasana
- इस आसन का पैरो पर अच्छा प्रभाव पड़ता है पैरो में बार बार होने वाले दर्द में भी इससे लाभ होता है और इससे पेट प्र भी अच्छा प्रभाव पड़ता है
- इससे फेफड़ों पर भी अच्छा प्रभाव पड़ता है और वे अधिक क्रियाशील होते हैं।
- थायरॉयड ग्रंथि पर विशेष खींचाव पड़ने से वह सुचारू रूप से कार्य करना शुरू कर देती हैं और इससे शारीरिक के साथ साथ मानसिक स्वास्थ्य भी प्रदान होता है
- यह आसन कमर दर्द को भी नष्ट करता है।
- सबसे पहले वज्रासन की स्तिथि में बैठ जाइए। दोनों पंजो की ऐड़ी और अंगूठा एक दूसरे से सटे होने चाहिए।
- अब धीरे धीरे सांस भरते हुए हाथो के सहारे पीछे झुकते हुए लेट जाइए। ठुड्डी को कंठ - कूप से लगाएं और पीठ को धरती पर समतल करले और हाथो से तकिया बना कर उसपे सिर रख लें।
- जबतक सांस को आसानी से रोक सकते हैं तबतक इसी स्तिथि में लेटे रहिए फिर सांस भरते हुए हाथो के सहारे धीरे से उपर उठते हुए वज्रासन की स्तिथि में आजएं ।
- अब जितने समय तक ये आसन कर था उतने समय तक विश्राम करें।
- इसी प्रकार अपने सामर्थ्य अनुसार आप इसे 3-4 बार तक लगा सकत हैं।
- इस आसन में सांस रोकने और शांत भाव से लेटे रहने का अभ्यास धीरे धीरे सुखपूर्वक बड़ाना चाहिए।
(विधि का दूसरा प्रकार)
- कुछ लोग supta-vajrasana लगाते समय एडियां अपने नितम्बों(कूल्हे) के अगल बगल रख लेते हैं और हाथों को जांघो पर भी रख सकते हैं। सिर को ही धरती पर रखते हैं सीने को अधिकाधिक उपर की ओर तान लेते हैं। लाभ दोनों के एक सामन हो हैं।
विशेष सावधानियां -
- वज्रासन को बवासीर के रोग में लगाना वर्जित है।
- अगर आपके पांव में चोट लगाई हुई है या पांव का ऑपरेशन हुआ हो कुछ समय पहले तो भी इस आसन को नहीं लगाना चाहिए।
- अगर आपके घुटनों में ज़्यादा दर्द रहता है तो भी वज्रासन नहीं लगाना चाहिए।
- सुप्त वज्रासन को हमेशा खाली पेट लगाएं और अगर आपका कुछ समय पहले ही ऑपरेशन हुआ हो तो यह आसन गलती से भी नहीं लगाना चाहिए।
- सुप्त वज्रासन में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए अगर शरीर में मजबूती हो तभी करना चाहिए। झटके से कभी ना तो लेटें और ना उठें।
- सांस जबरदस्ती रोक कर नहीं लेटे रहना चाहिए जितनी देर तक सरलता से सांस रोक सकें उतने समय तक ही करें
- दस्त होने पर भी vajrasana को नहीं लगाना चाहिए।
जिन लोगों से शुरू शुरू में वज्रासन नही लगता उनके लिए कुछ टिप्स :
1.) वज्रासन के अभ्यास से पहले अपने दोनो तरफ ( दाएं और बाएं हाथ) एक - एक तकिया रख लें और उनका दोनो हाथों से सहारा लेकर वज्रासन लगाने का प्रयास करें।
2.) अपनी पिंडलियों पर एक नरम का कंबल 4-5 बार मोड़कर उसके 10 इंच तक मोटा करलें , उसके बाद उसे अपनी पिंडलियों के ऊपर रख लें और उसी पे बैठने का प्रयास करें। इस अतिथि में कंबल आपके नितम्बो और पिंडलियों के बीच में रहेगा।
1 टिप्पणियाँ
You given a very helpful information about vajrasana. I am very pleased with your article keep it up and also provide more about-vajrasana-precautions
जवाब देंहटाएं