हलासन का अर्थ | Halasana meaning
इस आसन में मनुष्य के शरीर की आकृति खेत जोतने वाले हल के समान प्रतीत होती है । इसी कारण ऋषियों ने इस आसन का नाम हलासन रखा था। हलासन को english में "Plow-pose" भी कहते हैं।
यह एक कठिन आसन है, तो इसका अभ्यास आप तभी शुरू करें, जबतक आप पश्चिमोत्तानासन और सर्वांगासन के अभ्यास में निपुण नही हो जाते।
अगर आपको झुकने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है या आपकी उम्र के साथ-साथ आपके शरीर में बीमारियां बढ़ रही हैं तो यह आसन आपके लिए अत्यधिक लाभदायक सिद्ध हो सकता है। इस आसन की कमर दर्द, बुढ़ापे के रोग और मोटापे को खत्म करने के लिए जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम है।
हलासन के लाभ | Halasana benefits
- रीढ़/spine के लिए - इस आसन का मुख्य प्रभाव रीढ़ पर पड़ता है । इस आसन को करते समय पीठ की मांसपेशियोंं और रीढ़ पर विशेष खिंचाव पड़ने से रीढ़ की हड्डी का कड़ापन दूर होता है और रीढ़ लचीली होती है। पीठ की मांसपेशियों पर खिंचाव पड़ने से उनमें शुद्ध रक्त का प्रवाह विशेष रूप से बढ़ने के कारण रीढ़ के सभी रोगों से मुक्ति मिलती है।
- वात रोगों में लाभकारी - यह आसन रीढ़ की कशेरु शुक्राओं में रक्त प्रवाह को नियमित करके यह शरीर की कुपित वात को नियंत्रण में लाकर योगाभ्यसी को वात रोगों से मुक्ति दिलाता है।
- डिप्रेशन/Depression का नाश करने वाला - Halasana के नित्य - प्रतिदिन अभ्यास करने से यह आसन शरीर को स्वस्थ और मन में उत्साह, उमंग , स्फूर्ति, आशा का संचार होता है और मन को उल्लासित करता है । अगर आप को स्ट्रेस अधिक रहता है , तो यह आसन आपको तनाव से लड़ने की शक्ति देता है । जिससे depression नाम की बीमारी नहीं हो पाती और हो चुकी है तो उसे ठीक कर देता है।
- बुढ़ापे के रोगों को दूर करने वाला - अगर आप प्रतिदिन इस आसन का अभ्यास करते रहेंगे तो आपको कभी बुढ़ापे के रोग नही सताएंगे और न ही आपको लाठी पकड़नी पड़ेगी। जिनका बुढ़ापे में शरीर झुकने लगता है उन्हें इस आसन का प्रतिदिन अभ्यास करना चाहिए ,इस आसन से बुढ़ापे का शारीरिक और मानसिक ह्रास भी दूर होती है ।
- पेट के समस्त रोगों के लिए - उदर - गुहा , आमाशय , गृहणी , क्षुद्रान्ना , वृदंत्र , क्लोमग्रंथी समूह , यकृत, प्लीहा पर पर्याप्त दवाब पड़ता है। जिसके परिणाम स्वरूप पेट से जुड़े सभी प्रकार के विकारों का नाश होता है ।
- रक्त बढ़ाने में सहायक/ anaemia - इस आसन से कब्ज अजीर्ण नही होते हैं। आहार रस भी शुद्ध होता है ,जिससे रक्त की वृद्धि होती है ।
- थायरॉयड |hyper/hypothyroidism के लिए - यह आसन थायरॉयड और पैरा-थायरॉयड ग्रंथियों को सक्रिय बनाता है जिससे उनका अंत - स्रावों में नियमितता आने लगती है जिससे आपके शरीर में इन हार्मोन्स का स्तर सामान्य हो जाता है।
- शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिए - इन्ही थायरॉयड और पैरा-थायरॉयड ग्रंथियों पर शारीरिक एवं मानसिक विकास भी निर्भर करता है, इनके सुचारू रूप से काम करने पर शरीर का और बुद्धि का विकास भी अच्छे से होता है।
- डायबिटीज/Diabetes के लिए - यह आसन pancreas पर अच्छे तरीके से दवाब बनाता है , जिससे उसकी क्रियाशीलता नियमित होने लगती है और शरीर में insulin का स्राव सामान्य स्तर पर करने लगता है। शरीर में insulin का level सामान्य रहे तो blood में glucose का स्तर भी नियंत्रण में रहता है।
- मोटापे /Obesity के लिए - यह आसन पाचन क्रिया को तेज करता है, जिससे शरीर की चर्बी पचना शुरू हो जाती है। यह आसन पेट , जांघो और नितम्बो की चर्बी को विशेष तौर पर खत्म करता है।
- हलासन के निरंतर अभ्यासी को कभी भी मूत्राशय(Urinary tract) की बीमारी नहीं होती।
- इस आसन का प्रतिदिन अभ्यास करने से कभी भी hernia नही होता।
- मासिक धर्म ( menstrual period ) - यह आसन स्त्रियों के मासिक धर्म की अनियमितता और कष्टदायक स्राव को ठीक करता है। जिनके गर्भ नही ठहरते उन स्त्रियों को अन्य चिकित्सा के साथ इसका अभ्यास अवश्य करना चाहिए।
इसके इतने सारे लाभ हैं की को भी इस आसन का प्रतिदिन
अभ्यास करता वो सदैव निरोगी व प्रसन्न , उत्साहित, फुर्तीला, आशावान रहता है
हलासन कैसे करते है ? | Halasana steps
अब हम इसको करने की विधि 10 steps में बताने जा रहे हैं, परंतु हमने इसे 2 भागो( parts) में बांटा है। Part -1 में हम सर्वांगासन की मुद्रा में आएंगे और 2nd part से हलासन शुरू होगा जोकि आप ध्यान पूर्वक पढ़ें -
Part - 1
Step-1 |
1.) सबसे पहले एक कंबल बिछाएं और बिल्कुल सीधे लेट जाइए , दोनो पैरों की ऐड़ी और अंगूठे परस्पर चिपके रहने चाहिए और हाथों को बिलकुल सीधे करके हथेलियों को नीचे करके नितम्बो के बगल में कंबल पर रखें।
Step - 2 |
Step - 3 |
3.) अब पैरों को कमर के साथ ऊपर सीधा उठाते जाएं, जबतक आपकी ठुड्ढी सीने से नही लगने लगने। इस समय आप संतुलन बनाने के लिए हथेलियों को कमर पर रख लें ( यहां तक यह सर्वांगासन के समान है)।
सर्वांगासन कैसे किया जाता है? ( यहां क्लिक करके पढ़ें)
Part - 2
4.) अब सांस को पूरी तरह से बाहर निकालते हुए ,पैरों को धीरे धीरे आगे लेते जाएं और पैर के अंगूठों को सिर के पीछे भूमि पर टिका लें।
Step-4 |Halasana/ हलासन |
5.) ध्यान रहे की घुटने बिलकुल भी मुड़े नहीं, पैर एकदम तने हुए रहने चाहिए।
6.) इस समय आप अपनी हथेलियों को भूमि पर सीधा भी रख सकते हैं और कमर पर भी रख सकते हैं, जिसमे आपको अधिक सुविधा हो वैसे ही रख लें।
7.) जितनी देर आप सरलता से इस स्तिथि में रह सकते हैं उतनी देर रहें।
8.) अब धीरे धीरे सांस भरते हुए पैरों को पुनः ऊपर उठाते जाइए और वापिस सर्वांगासन की स्तिथि में आ जाइए और धीरे धीरे पीठ को भूमि पर ले आएं फिर पैरों को भी नीचे ले आइए। ( ये क्रिया बिल्कुल भी जल्दबाजी में नहीं करें)
9.) अब एकदम सीधे लेट जाइए शवासन की स्तिथि में 1 मिनट तक विश्राम कीजिए, जिससे पूरे शरीर में शुद्ध रक्त का बहाव अच्छे से हो।
10.) ऐसे एक हलासन का एक चक्र पूरा होगा। ऐसे ही ऐसे ही इस आसन को 1-1 मिनट आराम करके 3-4 बार तक लगाइए।
आसन लगाने की अवधि (Duration)
- सर्वांगासन को आप सांस बाहर निकाल कर रोक कर 10 - 20 सेकंड्स तक लगा सकते है।
- Halasana की पूर्ण अवस्था में ( step 6-7) आप उड्डयान बंध और मूल बंध भी लगा सकते हैं।
- और इसका समय धीरे-धीरे बढ़ाते जाएं, लगभग हर हफ्ते 5-5 सेकंड्स तक।
- जब आपको अच्छे से सर्वांगासन का अभ्यास होता जाए, तो इसे 1-2 मिनट तक सांस रोक कर लगाया जा सकता है।
- दूसरा तरीका है की आप इसे स्वाभाविक रूप से सांस लेते हुए 4 से 5 मिनट तक भी लगा सकते हैं परंतु ये सिर्फ जब आप इसके पक्के अभ्यासी हो जाएं तभी लगाएं।परन्तु आप पहले तरीके से ही लगाएं ।
हलासन की सावधानियां / Halasana Precautions
- का प्रयास तभी करें जब आपको सर्वांगासन और पश्चिमोत्तानासन का अच्छे से अभ्यास हो जाए।
- इस व्यायाम में कभी भी चाहे कितना भी अभ्यास हो जाए, इसे भूल कर भी झटके से नही लगाना चाहिए, वरना लाभी की अपेक्षा हानि अधिक होगी।
- हलासन का अभ्यास गर्भावस्था में 2 महीने के बाद पूर्णतया वर्जित है और मासिक धर्म के समय भी वर्जित है।
- इस आसन को सुबह खाली पेट ही करना चाहिए या भोजन के 3 -4 घंटो के बाद ।
- स्लिप डिस्क के रोगी को हलासन का बिलकुल भी अभ्यास नहीं करना चाहिए।
- जिसकी गर्दन में दर्द रहता है उन्हे यह आसन नहीं करना चाहिए।
- अगर आपके शरीर में कहीं कोई ऑपरेशन हुआ है तो भी आपको 5 -6 महीनो तक इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए।
- जिसके पेट में अल्सर हों ,उन्हे भी इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए
- जिनके kidney या gall badder में पथरी है उन्हे भी halasana का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
- इस आसन को अगर आप पहली बार लगा रहें हैं तो किसी अन्य व्यक्ति को सहायता के लिए बगल में अवश्य खड़ा रखें ,ताकि वे आपको संतुलन बिगड़ने पर छोटे लगने से पहले संभाल लें।
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